RBI New Guideline For Loan Defaulter : बैंक से लोन लेना अक्सर तब आसान होता है जब अचानक पैसे की जरूरत पड़ती है। लेकिन कई लोग लोन लेने के बाद अलग-अलग वजहों से इसे चुका नहीं पाते। ऐसे में उन्हें डिफॉल्टर माना जाता है।
इससे उनका सिबिल स्कोर खराब हो जाता है और भविष्य में लोन मिलने की संभावनाएं भी घट जाती हैं। अब आरबीआई ने लोन डिफॉल्ट के मामलों के लिए नई गाइडलाइंस जारी की हैं। बैंकों को डिफॉल्टर घोषित करने से पहले किन नियमों का पालन करना होगा, इस बारे में जानकारी हासिल करें।
लोन लेने वाले को जानकारी दी जाएगी।
अब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने बैंकों को स्पष्ट किया है कि लोन डिफॉल्ट के मामलों में कोई भी बैंक बिना पूछे ग्राहक को फ्रॉड की श्रेणी में नहीं डाल सकता। बैंकों को आरबीआई के नियमों का पालन करना जरूरी है और कई जरूरी कदम उठाने होंगे।
आरबीआई ने बैंकों को दिए गए निर्देशों में कहा है कि किसी भी लोन लेने वाले ग्राहक को डिफॉल्टर घोषित करने से पहले 21 दिन पहले नोटिस देकर उसे कारण बताने का मौका देना होगा। इससे लोन लेने वाले को अपनी बात रखने का अवसर मिलेगा। इस प्रक्रिया के बाद ही उसे डिफॉल्टर या फ्रॉड माना जा सकता है।
बैंकों को इन नियमों का पालन करना जरूरी है।
अगर बैंकों को एक करोड़ रुपये से ज्यादा के लोन में डिफॉल्ट होता है, तो उन्हें राज्य पुलिस को सूचित करना होगा। वहीं, अगर मामला 6 करोड़ रुपये से ऊपर का फ्रॉड है, तो CBI को जानकारी देनी होगी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आरबीआई ने लोन डिफॉल्टर्स से जुड़े नियमों में बदलाव किया है।
आरबीआई ने बैंकों को इन मामलों को सही तरीके से हैंडल करने के लिए एक समिति बनाने की सलाह दी है। इसके अलावा, आरबीआई ने बैंकों से फ्रॉड रिस्क मैनेजमेंट की स्वीकृत नीतियों को लागू करने को भी कहा है।
सूचना पुलिस को दी जाएगी।
आरबीआई ने कहा है कि बैंकों को लोन डिफॉल्ट के मामलों में शुरुआती चेतावनी संकेत प्रणाली को बेहतर बनाना चाहिए। इस प्रणाली में ईडब्ल्यूएस को शामिल करना जरूरी है। अगर किसी के ऊपर एक करोड़ रुपये से ज्यादा का डिफॉल्ट लोन है, तो सबसे पहले पुलिस को सूचित किया जाएगा।
प्राइवेट बैंकों को गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय को भी इस बारे में जानकारी देनी होगी। नोटिस देने की प्रक्रिया भी लागू की जाएगी। अब बैंक सीधे डिफॉल्टर या धोखाधड़ी घोषित नहीं कर सकेंगे।