Work From Home Business : क्या आप सोच सकते हैं कि सिर्फ ₹2000 के निवेश और एक सिलाई मशीन से हर महीने ₹1.5 लाख तक कमाए जा सकते हैं? ये कहानी है एक साधारण गृहिणी की, जिन्होंने अपने हुनर और मेहनत से न सिर्फ अपनी पहचान बनाई, बल्कि शानदार कमाई भी शुरू कर दी।
आज हम आपको एक ऐसी प्रेरक कहानी सुनाने जा रहे हैं, जो ये साबित करती है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो उम्र या संसाधनों की कमी कभी भी आपके रास्ते में नहीं आ सकती।
52 की उम्र में नया रास्ता अपनाया।
ये कहानी है मंजूषा की, जो मुंबई में रहती हैं। 2016 में, जब मंजूषा को 52 साल की उम्र में अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा, तो बहुतों को लगा कि अब तो जीवन बस आराम से गुजारने का समय आ गया है। लेकिन मंजूषा ने ये सोचकर रिटायरमेंट का ख्याल छोड़ दिया कि अब उन्हें अपने सपनों को पूरा करना है।
बचपन से सिलाई का शौक था।
मंजूषा को बचपन से ही सिलाई का शौक था। लेकिन पैसे की कमी के कारण उन्होंने कभी इस शौक को बढ़ावा नहीं दिया। अब जब नौकरी गई, तो उन्होंने अपनी बचत से शुरुआत करने का फैसला किया। ₹2000 की मामूली राशि से कपड़े खरीदे और सिलाई का काम शुरू किया। शुरुआत में उन्होंने बैग और कुशन कवर बनाने का सोचा।
परिवार का साथ और सोशल मीडिया की ताकत।
उनकी बेटी ने उन्हें हमेशा प्रोत्साहित किया। बेटी ने सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हुए उनके बनाए हुए प्रोडक्ट्स की तस्वीरें इंस्टाग्राम और फेसबुक पर शेयर की। और फिर क्या था, लोग उनकी कारीगरी को देखकर उनके प्रोडक्ट्स के लिए ऑर्डर देने लगे। धीरे-धीरे उनका काम फैलने लगा।
बड़ा ऑर्डर आया, और कारोबार बढ़ा।
कुछ महीनों में ही मंजूषा को एक लोकल बुटीक से बड़ा ऑर्डर मिला, जो उनके बिजनेस के लिए गेम चेंजर साबित हुआ। इसके बाद उन्होंने अपनी सिलाई मशीन को अपग्रेड किया और नई मशीनें भी खरीदीं। उनके प्रोडक्ट्स की क्वालिटी और डिजाइन की काफी तारीफ होने लगी।
अब हर महीने ₹1.5 लाख कमाती हैं।
आज मंजूषा हर महीने ₹1.5 लाख तक कमा रही हैं। उन्होंने अपने छोटे से बिजनेस को काफी बढ़ा लिया है। अब वह बैग, पर्स, कुशन कवर, कपड़े की ट्रे जैसे प्रोडक्ट्स भी बनाती हैं। इनके सारे प्रोडक्ट्स न केवल सुंदर होते हैं, बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचाते। प्लास्टिक की जगह लोग इनके कपड़े के प्रोडक्ट्स को पसंद करने लगे हैं।
सोशल मीडिया ने दिया बड़ा सहारा।
सोशल मीडिया ने उनके बिजनेस को और भी बड़ा करने में मदद की। उनकी बेटी ने सही तरीके से ब्रांड को प्रमोट किया और ग्राहकों से मिलने वाले पॉजिटिव फीडबैक ने मंजूषा के आत्मविश्वास को और बढ़ाया।
प्रेरणा बनीं मंजूषा।
मंजूषा की कहानी उन महिलाओं के लिए प्रेरणा है, जो आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनना चाहती हैं। वह साबित करती हैं कि अगर आपके पास जुनून और मेहनत करने का जज्बा है, तो किसी भी उम्र या संसाधन की कमी से फर्क नहीं पड़ता। मंजूषा की तरह, हर महिला अपने छोटे से प्रयास से बड़ी कामयाबी हासिल कर सकती है।